इस कारण अन्याय करनेवाला और अन्याय देखनेवाला दोनों पापी हैं।
3.
अन्याय करनेवाला सच्चा पश्चाताप न करे, तब तक अस्पृश्यता जड़ से नहीं
4.
जब तक अन्याय करनेवाला सच्चा पश्चाताप न करे, तब तक अस्पृश्यता जड़ से नहीं मिटायी जा सकती और पश्चाताप दूसरों के द्वारा नहीं किया जा सकता-उसे तो स्वयं ही करना होता है।
5.
जब तक अन्याय करनेवाला सच्चा पश्चाताप न करे, तब तक अस्पृश्यता जड़ से नहीं मिटायी जा सकती और पश्चाताप दूसरों के द्वारा नहीं किया जा सकता-उसे तो स्वयं ही करना होता है।